Showing posts with label शैशव. Show all posts
Showing posts with label शैशव. Show all posts

Thursday, July 2, 2009

शैशव - एक कविता

.
शैशव में सुख सारे थे।
सारे जग के प्यारे थे ।।

राज सभी पर अपना था।
चलते हुक्म हमारे थे।।

गुड्डे-गुडियाँ, गेंदें-गोली।
ईद, बिहू और पोंगल, होली।।

सब त्यौहार मनाते थे।
हम कितना इतराते थे।।

जीवन सुख से चलता था।
बिन मांगे सब मिलता था।।

दिन वैभव से कटते थे।
ऐसे ठाठ हमारे थे।।

शैशव में सुख सारे थे।
सारे जग के प्यारे थे ।।

.