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Tuesday, July 9, 2019

कुछ साक्षात्कार

विडियो Video


हिंदी सम्पादन की चुनौतियाँ - टैग टीवी कैनैडा पर अनुराग शर्मा, सुमन घई और शैलजा सक्सेना
Anurag Sharma with Suman Ghai and Shailja Saxena on Tag TV Canada



मॉरिशस टीवी पर डॉ. विनय गुदारी के साथ अनुराग शर्मा का साक्षात्कार
Anurag Sharma's Interview by Dr. Vinay Goodary on Mauritius TV



आप्रवासी साहित्य सृजन सम्मान का फ़्रैंच समाचार French News about MGI Mauritius Award



अनुराग शर्मा का साक्षात्कार (अंग्रेज़ी में) In discussion with Sparsh Sharma (English)

ऑडियो Audio
एनएचके (जापान) पर अनुराग शर्मा से नीलम मलकानिया की वार्ता
Neelam Malkania speaks to Anurag Sharma on NHK Radio (Japan)

रेडियो सलाम नमस्ते (अमेरिका) पर अनुराग शर्मा का साक्षात्कार
Hindi Interview with Anurag Sharma on Radio Salam Namaste, Texas





मुद्रित, व अन्य Print and Online

Monday, November 22, 2010

अहिंसक शाकाहारी पोषण - कल और आज

हिन्दी ब्लॉगजगत में कोई न कोई बहस न चल रही हो ऐसा तो कभी हुआ ही नहीं। उसी महान परम्परा का पालन करते हुए आजकल जगह-जगह पर पशु-हत्या सार्थक करने सम्बन्धी अभियान छिडा हुआ दिखता है। मांसाहार कोई आधुनिक आचरण नहीं है। एक ज़माना था कि आदमी आदमी को खाता था, फिर उसने समझा कि आदमखोरी से उसकी अपनी जान का खतरा बढ जाता है सो आदमखोर कबीलों ने भी अपने स्वयम के कबीले वालों को खाना बन्द कर दिया। जब आदमखोरी को समाप्त करने के प्रयास शुरू हुए होंगे तब ज़रूर बहुत से कापुरुषों ने इसे कबीले की परम्परा बताते हुए जारी रखने की मांग की होगी मगर "असतो मा सद्गमय..." के शाश्वत सिद्धांत पर चलती हुई मानव सभ्यता धीरे धीरे अपने में सुधार लाती रही है सो आदमखोरी को समाज से बहिष्कृत होना ही था। कुछ लोगों ने पालतू कुत्ते को परिवार का सदस्य मानकर उसे खाना छोडा और किसी ने दूध-घी प्रदान करने वाले गोवंश को मातृ समान मानकर आदर देना आरम्भ किया।

हातिमताई ने मेहमान के भोजन के लिये अपना घोडा ही मारकर पका दिया जबकि अमेरिका में काउबॉय्ज़ के लिये घोडा मारना परिवार के सदस्य को मारने जैसा ही है। चीन में सांप खाना आम है परंतु अधिकांश जापानी सांप खाने को जंगलीपन मानते हैं। गरज यह कि सबने अपनी-अपनी सुविधानुसार व्याख्यायें की हैं। कोई कहता है कि सब शाकाहारी हो जायेंगे तो अनाज कहाँ बचेगा जबकि अध्ययन बताते हैं कि एक किलो मांस के उत्पादन के लिये लगभग 20 किलो अनाज की आवश्यकता होती है तो अगर लोग मांसाहार छोड दें तो अनाज की बहुतायत हो जायेगी। कोई कहता है कि उसके पुरखे तो पशु-हत्या करते ही थे। उसके पुरखे शायद सर्दी-गर्मी में नंगे भी घूमते थे, क्या आज वह व्यक्ति सपरिवार नंगा घूमता है? कोई कहता है कि जीव-भक्षण प्राकृतिक है परंतु एक यूरोपीय विद्वान के अनुसार जीव-भक्षण तभी प्राकृतिक हो सकता है जब चाकू आदि यंत्रों और अग्नि आदि पाक-क्रियाओं के बिना उसे हैवानी तरीके से ही खाया जाये। मतलब यह कि ऐसे बहुत से तर्क-कुतर्क तो चलते रहते हैं।

कुछ लोगों के लिये भोजन जीवन की एक आवश्यकता से अधिक महत्व नहीं रखता है परंतु कुछ लोगों के लिये यह भी अति-सम्वेदनशील विषय है। हाँ इतना ज़रूर है कि सभ्य समाज में हिंसा को सही ठहराने वाले लोग मांसाहारियों में भी कम ही मिलते हैं। मैने अपने छोटे से जीवनकाल में सिख-बौद्ध-हिन्दू-जैन समुदाय के बाहर भी कितने ही शाकाहारी ईसाई, पारसी और मुसलमान देखे हैं जो जानते बूझते किसी प्राणी को दुख नहीं देना चाहते हैं, स्वाद के लिये हत्या का तो सवाल ही नहीं उठता। नीचे कुछ पुराने लेखों के लिंक हैं जिनमें शाकाहार से सम्बन्धित कुछ प्राचीन भारतीय सन्दर्भ और आधुनिक पश्चिमी अध्ययनों का समन्वय है यदि जिज्ञासुओं को कुछ लाभ हो तो मुझे प्रसन्नता होगी।

* बुद्धिमता के साइड अफेक्ट्स

* ब्रिटिश जेल का प्रयोग

* बाजी शाकाहारी, बेल्जियम ने मारी

* अहिसा परमो धर्मः

* शाकाहार प्राकृतिक नहीं

* शाकाहार - कुछ तर्क कुतर्क

* शस्य या मांस

* शाकाहार और हत्या

* शाकाहार - देव लक्षण

* आप कितने बुद्धिमान हैं? (निरामिष)

* विदेश में शाकाहार की प्रगति (निरामिष)

* मिर्ची लगी तो मैं क्या करूँ? (निरामिष)

* चैम्पियन शतायु धावक फ़ौजा सिंह (निरामिष)

* भारतीय संस्कृति में मांस भक्षण? (निरामिष)

* विटामिन डी - सूर्य नमस्कार से पोषण (निरामिष) 

* रक्त निर्माण के लिये आवश्यक है विटामिन बी12 (निरामिष)

* कॉलेस्टरॉल किस चिड़िया का नाम है? (निरामिष)

Thursday, June 19, 2008

अनुराग शर्मा की हिंदी कवितायें

ऊर्ध्वमूलम् अधःशाखम् अश्वत्थं प्राहुरव्ययम्।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्॥
 
  1. बदनुमा धब्बे
  2. लेन देन
  3. भय
  4. अहम् ब्रह्मास्मि
  5. उठ दीवार बन
  6. सत्य के टुकड़े
  7. ख्याल अपना अपना
  8. नव वर्ष
  9. भोर का सपना
 10. पतझड़ - कुंडली
 11. माँ
 12. शैशव
 13. इत्मीनान
 14. वक़्त
 15. कुछ और शेर
 16. चंद अशआर
 17. क्या मतलब
 18. मर्म
 19. काश
 20. बहाना
 21. तुम्हारे बगैर
 22. आग मिले
 23. वसंत
 24. ज़माने की बातें
 25. जीवन कैसा है?
 26. साथ तुम्हारा
 27. आलस्य
 28. तुम बिन
 29. सत्यमेव जयते
 30. बिखरा मन
 31. रहने दो
 32. खोया पाया
 33. पतझड़
 34. नहीं होता
 35. टीस
 36. सब तेरा है
 37. तुम्हारे बिना
 38. क्या होगा?
 39. सताती हो
 40. अनजाने लोग
 41. ट्रांसलिटरेशन
 42. गड़बड़झाला
 43. सावन
 44. क्या मतलब?
 45. दंगा
 46. साधारण जन
 47. हाल बुरा है
 48. नानृतम्
 49. व्यावहारिकता
 50. आपकी गज़ल
 51. याद तेरी आयी तो
 52. अक्षर अक्षर
 53. कुसुमाकर कवि
 54. नाउम्मीदी
 55. यूँ ही एक कामना
 56. दीपावली
 57. तू मेरा बन
 58. बेहतर हो
 59. जब से गये तुम
 60. उत्सव की रोशनी
 61. सीमा
 62. अकेला
 63. अंतर्मन
 64. कच्ची दीवार
 65. मैं भी एक कवि बन पाता
 66. खट्टे अंगूर
 67. चक्रव्यूह
 68. इतना भी पास मत आओ
 69. बदले ज़माने देखो
 70. गहरे गह्वर गहराता
 71. प्रेम, न्याय और प्रारब्ध
 72. प्रेम की चुभन
 73. सावन का महीना
 74. दिल यूँ ही पिघलते हैं
 75. भारत बोध
 76. दुखी मन से
 77. वादा
 78. प्रेमिल मन (दिल क्या चाहे)
 79. एक उदास नज़्म
 80. कालचक्र
 81. कहाँ गई?
 82. राजनीतिक व्यंग्य
 83. क्यूँ नहीं?
 84. आस्तीन का दोस्ताना
 85. अपना अपना राग
 86. तल्खी और तकल्लुफ
 87. हम क्या हैं?
 88. सीमित जीवन
 89. अस्फुट मंत्र
 90. कबाड़
 91. 2016 की शुभकामनायें!
 92. मेरा दर्द न जाने कोय
 93. याद के बाद
 94. शिकायत
 95. शाब्दिक हिंसा
 96. ये दुनिया अगर
 97. अनंत से अनंत तक
 98. स्वप्न
99. फ़िरकापरस्त
100. असलियत
101. डर लगता है
102. ग़ज़ल?
103. घोंसले
104. एक नज़र


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(अनुराग शर्मा)

Hindi Poetry by Anurag Sharma

कुछ कहानियाँ - अनुराग शर्मा

कहानी कहानी होती है, उसमें लेखक की आत्मकथा ढूँढना ज्यादती है. ~ अनुराग शर्मा
1. वह कौन था
2. खून दो

3. खाली प्याला
4. जावेद मामू
5. सौभाग्य (स्वर: डॉ. मृदुल कीर्ति)

6. एक दिन श्रमिक का
7. कर्मा जी की टुन्न-परेड

8. गरजपाल की चिट्ठी

9. लागले बोलबेन

10. बिच्छू
i)
ii)
11. हत्या की राजनीति

12. गदा का रहस्य
13. जाके कभी न पडी बिवाई (स्वर: अर्चना चावजी)

14. एक और इंसान
15. माय नेम इज खान

16. असीम
24. मैं एक भारतीय

25. नसीब अपना अपना

26. गंजा – लघु कथा

27. गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु... (कैसे कैसे शिक्षक?)

28. अग्नि समर्पण - व्यंग्य

29. आती क्या खंडाला?

30. टोड

31. अनुरागी मन
32. मैजस्टिक मूंछें

33. घर और बाहर

34. डैडी
35. छोटे मियाँ

36. बेमेल विवाह

37. सैय्यद चाभीरमानी और हिंदुत्वा एजेंडा
38. तहलका तहलका तहलका
39. सैय्यद चाभीरमानी और शाहरुख़ खान
40. ओसामा जी से हैलोवीन तलक - सैय्यद चाभीरमानी
41. कोकिला, काक और वो ...
42. एक शाम बार में

49. गन्धहीन
50. भोला

51. हिन्दी बंगाली भाई भाई
52. व्यवस्था
53. यारी है ईमान
54. सच्चे फांसी चढ़दे वेक्खे
55. मुखौटों से वार्ता
56. सुखांत
57. मार्जार मिथक गाथा
58. भविष्यवाणी
59.ईमान की लूट

60.सत्य - सबसे छोटी बोधकथा
61.गुरु - लघुकथा

62.दीपशलाका बालिका - हाँस क्रिश्चियन एंडरसन

63.जोश और होश - बोधकथा
64.खान फ़िनॉमिनन

65.कंजूस मक्खीचूस

66.किनाराकशी - लघुकथा
67.मुफ्तखोर - लघुकथा
68.खिलखिलाहट - लघुकथा
69.पुरानी दोस्ती - लघुकथा
70.ऊँट, पहाड़, हिरण, शेर और शाकाहार
71.सांप्रदायिक सद्भाव - लघुकथा
72.सच या झूठ - लघुकथा
73.बुद्धू - लघुकथा
74.अहिंसा - लघुकथा
82. विदेह

83. बिग क्लाउड 2068

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रेडियो सलाम नमस्ते पर अनुराग शर्मा का साक्षात्कार
Hindi Interview with Anurag Sharma on Radio Salam Namaste




मॉरिशस टीवी पर अनुराग शर्मा का साक्षात्कार
Anurag Sharma's Interview on Mauritius TV

यह भी कैसी विचित्र विडम्बना है कि दूसरों की कहानियाँ रचते समय मुझे सामने वाले को उसकी सम्पूर्णता के साथ अपने में मिलाना पड़ता था और इस हद तक मिलाना पड़ता था कि ‘स्व’ और ‘पर’ के सारे भेद मिटकर दोनों एकलय, एकाकार हो जाते थे। पर अपनी कहानी लिखते समय तो मुझे अपने को अपने से ही काटकर बिल्कुल अलग कर देना पड़ा। यह निहायत ज़रूरी था और इस विधा की अनिवार्यता शर्त, तटस्थता, की माँग भी लिखनेवाली मन्नू और जीनेवाली मन्नू के बीच पर्याप्त फासला बनाकर रख सकूँ। अब इसमें कहाँ तक सफल हो सकी हूँ, इसके निर्णायक तो पाठक ही होंगे...। मुझे तो न इसका दावा है, न दर्प! ~ मन्नू भंडारी (एक कहानी यह भी)
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Sunday, June 1, 2008

इस्पात नगरी से - श्रृंखला

पिट्सबर्ग पर आधारित यह कड़ी मेरे वर्तमान निवास स्थल से आपका परिचय कराने का एक प्रयास है। संवेदनशील लोगों के लिए यहाँ रहने का अनुभव भारत के विभिन्न अंचलों में बिताये हुए क्षणों से एकदम अलग हो सकता है। कोशिश करूंगा कि समानताओं और विभिन्नताओं को उनके सही परिप्रेक्ष्य में ईमानदारी से प्रस्तुत कर सकूं। आपके प्रश्नों के उत्तर देते रहने का हर-सम्भव प्रयत्न करूंगा, यदि कहीं कुछ छूट जाए तो कृपया बेधड़क याद दिला दें, धन्यवाद!

* पिट्सबर्ग के खूबसूरत ऑर्किड्स
* और वह पत्थर हो गया
* तितलियाँ
* पिट्सबर्ग का अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव (2011)
* डीसी डीसी क्या है?
* वाट्सन आया
* आभार दिवस
* नया प्रदेश, युवा मुख्यमंत्री
* क्वांज़ा का पर्व
* पतझड़ का सौंदर्य
* मुद्रण का भविष्य
* बुरे काम का बुरा नतीज़ा
* अमेरिका में शिक्षा
* पीड़ित अपराधी
* रजतमय धरती
* कार के प्रकार
* हनूका 2010
* हनूका 2009
* प्रेत उत्सव
* तमसो मा
* जी-२०
* डैलस यात्रा
* स्वतंत्रता दिवस
* ज्योतिर्गमय
* ड्रैगन नौका उत्सव
* आह पुलिस
* ग्राहक मेरा देवता
* वाह पुलिस
* २३ घंटे
* दिमागी जर्राही
* सिक्सबर्ग
* अनोखा परिवहन
* पिट्सबर्ग का पानी
* आग और पानी
* दंत परी
* तीन नदियाँ या चार?
* क्रिसमस
* मेरी खिड़की से
* १९ जून
* बॉस्टन ब्राह्मण
* बॉस्टन में भारत
* स्वतंत्रता दिवस (2010) की शुभकामनाएं!
* स्वतंत्रता दिवस (2009) की शुभकामनाएं!

Postcards from Pittsburgh in Hindi