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Sunday, July 12, 2009

भारत पर चीन का दूसरा हमला?

जी हाँ! चौंकिए मत। वही कम्युनिस्ट चीन जिसने 1962 में पंचशील के नारे के पीछे छिपकर हमारी पीठ में छुरा भोंका था, जो आज भी हमारी हजारों एकड़ ज़मीन पर सेंध मारे बैठा है। तिब्बत और अक्साई-चिन को हज़म करके डकार भी न लेने वाला वही साम्यवादी चीन आज फ़िर अपनी भूखी, बेरोजगार और निरंतर दमन से असंतुष्ट जनता का ध्यान आतंरिक उलझनों से हटाने के लिए कभी भी भारत पर एक और हमला कर सकता है। वीगर मुसलमानों, तिब्बती बौद्धों, फालुन गॉङ्ग एवं अन्य धार्मिक समुदायों का दमन तो दुनिया देख ही रही है, लेकिन इन सब के अलावा वैश्विक मंदी ने सस्ते चीनी निर्यात को बड़ा झटका दिया है। इससे चीन में अभूतपूर्व आंतरिक सामाजिक अशांति पैदा हो रही हैं। निश्चित है कि अपनी ही जनता की पीठ में छुरा भोंकने वाले चीनी तानाशाह चीनी समाज पर कम्युनिस्टों की ढीली होती पकड़ को फिर पक्का करने के लिए भारत को कभी भी दगा देने को तय्यार बैठे हैं।

प्रतिष्ठित रक्षा जर्नल ‘इंडियन डिफेंस रिव्यू’ के नवीनतम अंक के संपादकीय में प्रसिद्व रक्षा विशेषज्ञ भारत वर्मा ने कहा है कि चीन सन 2012 तक भारत पर हमला करेगा। भारत वर्मा की बात से कुछ लोग असहमत हो सकते हैं मगर मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि चीन जैसा गैर-जिम्मेदार देश किसी भी हद तक जा सकता है। एक महाशक्ति बनने का सपना लेकर चीन ने हमेशा ही विभिन्न तानाशाहियों और छोटे-बड़े आतंकवादी समूहों को सैनिक या नैतिक समर्थन दिया है। 9-11 तक तालेबान को खुलेआम हथियार बेचने वाले चीन के उत्तर-कोरिया, बर्मा और पाकिस्तान के सैनिक तानाशाहों से और नेपाल के माओवादियों से रिश्ते किसी से भी छिपे नहीं हैं। परंतु आज चीन की सरपरस्ती वाले यह सारे ही मिलिशिया और संगठन बदलते अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में धीरे-धीरे महत्वहीन होते जा रहे हैं।

मैं सोचता हूँ कि यदि चीन अब ऐसी बेवकूफी करता है तो इसका नतीजा चीन के लिए निर्णयकारी सिद्ध हो सकता है। यह चीनी आक्रमण यदि हुआ तो शायद 1962 की तरह ही सीमित युद्ध होगा। इस युद्ध के लंबा खिंचने की आशंका न्यून और इस में नाभिकीय हथियारों के उपयोग की संभावना नगण्य है। युद्ध किसी भी पक्ष के लिए शुद्ध लाभकारी घटना नहीं होती है मगर इस बेवकूफी से चीन का विखंडन भी हो सकता है। मैंने अपनी बात कह दी मगर साथ ही मैं इस विषय पर आप लोगों के विचार जानने को उत्सुक हूँ। कृपया बताएँ ज़रूर, धन्यवाद!
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