Thursday, October 9, 2008

खोया पाया - कविता

कितना खोया कितना पाया,
उसका क्या हिसाब करें हम?

दर्पण पर जो धूल जमा है,
उसको कैसे साफ करें हम?

सपने भी अपने भी बिछड़े,
कब तक यह संताप करें हम?

नश्वर सृष्टि नष्ट हुई तो,
नूतन जग निर्माण करें हम।

भूल चूक और लेना-देना,
कर्ज-उधारी माफ़ करें हम।

बीती बातें छोड़ें और अब,
आगत का सम्मान करें हम॥


.

Tuesday, October 7, 2008

अमरीकी आर्थिक मंदी और भारतीय पञ्चबलि

अमेरिका आर्थिक मंदी के एक कठिन दौर से गुज़र रहा है। इस मंदी का असर दुनिया भर के बाज़ारों पर भी पड़ रहा है। बाज़ार की ख़बर रखने वाले ताऊ रामपुरिया ने अपनी पोस्ट गुड गुड गोते खाती अर्थ-व्यवस्था में इस विषय के कालक्रम की विस्तार से चर्चा की थी. आर्थिक पहलू तो हैं ही, इस समस्या के अपने मानवीय पहलू भी हैं। आर्थिक तंगी का असर मानवीय संबंधो पर भी पड़ रहा है। कुछ सामाजिक पहलूओं का सन्दर्भ मेरी पिछली पोस्ट एक शाम बेटी के नाम में आया था। आम तौर पर अमेरिकी साहसी होते हैं और कठिनाइयों का सामना बड़ी दिलेरी से करते हैं। मगर जब मंदी लंबे समय तक रह जाए तो समीकरण बदलने लगते हैं। लोगों की नौकरियां छूट रही हैं, घरों से हाथ धोना पड़ रहा है, कुछ परिवार टूट भी रहे हैं। मगर आज की ख़बर बहुत दर्दनाक है। लॉस एंजेलेस में रहने वाले और हाल ही में बेरोजगार हुए भारतीय मूल के ४५ वर्षीय कार्तिक राजाराम ने संभवतः आर्थिक कारणों से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह ख़बर इसलिए और महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि सैन फ़्रांसिस्को वैली के पोर्टर रैंच में रहने वाले राजाराम ने मरने से पहले गोली मारकर अपने साथ रहने वाले पाँच परिजनों की भी हत्या कर दी। राजाराम ने नयी ख़रीदी बन्दूक से अपने तीन बेटों, पत्नी और सास को मौत के मुँह में धकेल दिया। एक आत्महत्या पत्र में राजाराम ने लिखा है कि उसके लिए पूरे परिवार सहित मरना अधिक सम्मानजनक है। अपने घर में बैठकर शायद मैं किसी दूसरे व्यक्ति की कठिनाईयों को पूरी तरह से नहीं समझ सकता हूँ मगर फिर भी मेरे दिल में बार-बार यह सवाल उठ रहा है कि "क्यों?" आख़िर क्यों हम हार जाते हैं समाज के बनाए हुए समीकरणों से? हत्या और आत्महत्या में हम सम्मान कैसे ढूंढ सकते हैं? ज़िंदगी क्या इतनी सस्ती है कि पैसे के आने-जाने से उसका मोल लगाया जा सके? और फिर ख़ुद मरना एक बात है और अपने आप को पाँच अन्य लोगों के जीवन का निर्णायक समझ लेना? उन लोगों की परिस्थिति को जाने बिना मैं सिर्फ़ इतना ही कह सकता हूँ कि ईश्वर मृतकों की आत्मा को शान्ति दे और कठिनाई से गुज़र रहे दूसरे लोगों को सामना करने का साहस दे और सही रास्ता दिखाए।

Thursday, October 2, 2008

सबसे तेज़ मिर्च - भूत जोलोकिया

hottest chile
नागा जोलोकिया
भारत में था तो तरह-तरह की मिर्च खाने को मिलती थीं। कई किस्म के पौधे मैंने घर में भी लगाए हुए थे। मिर्च की सब्जी हो, पकौडी हो या चटनी, भरवां पहाडी मिर्च हो या तडके वाली लाल मिर्च, एक फल/सब्जी यही थी जो हर खाने के साथ चलती थी। मिर्च मुझे इतनी पसंद थी कि मैं तो उपवास का हलवा भी हरी मिर्च के साथ ही खाता था। मेरा बस चलता तो आफ़्टर शेव लोशन भी मिर्च की गन्ध वाले ही प्रयोग करता। हमारे घर में अन्य पौधों के साथ नीले, हरे, लाल, पीले विभिन्न प्रकार की मिर्चों के अनेक पौधे थे।

यहाँ आने के बाद जब भी मिर्च की बात होती थी स्थानीय लोग सबसे तेज़ मिर्च की बात करते थे। जिससे भी बात हुई उसने ही रेड सैविना हेबानेरो का नाम लिया। एकाध दफा मेरे दिमाग में आया कि सबसे तेज़ मिर्च तो शायद भारत में ही होती होगी. मगर कोई सबूत तो था नहीं सिर्फ़ मन की भावना थी और भावना का तो कोई मूल्य नहीं होता है। और फ़िर यहाँ के लोग तो हर काम पड़ताल कर परख कर और फ़िर नाप-जोख कर करते हैं। उन्होंने बाकायदा मिर्च की तेज़ी को भी परिभाषित किया हुआ है। और इस तेज़ी की इकाई है स्कौविल पैमाना। रेड सैविना हेबानेरो ३५०,००० से ५८०,००० स्कौविल तक की होती है।

hottest chile
सबसे तीखी
मगर बुजुर्गों ने कहा ही है कि श्रद्धा के आगे बड़े-बड़े पर्वत झुक जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में शोध के बाद यह पता लगा कि भारत में पाई जाने वाली एक मिर्च रेड सैविना हेबानेरो से लगभग ढाई गुनी तेज़ है। नारंगी से लाल रंग तक पाई जाने वाली यह मिर्च पूर्वोत्तर भारत में, विशेषकर असम के तेजपुर जनपद और उस के आसपास पायी जाती है। मणिपुर में इसे राजा मिर्च और ऊ मोरोक कहते हैं जबकि असम व नागालैंड में उसे भूत जोलोकिया, बीह जोलोकिया व नाग जोलोकिया कहते हैं। मगर अंग्रेजी में इसे तेजपुर चिली के नाम से जाना गया। संस्कृत में मिर्च का एक नाम भोजलोक भी है, भूत जोलोकिया शब्द का उद्भव वहीं से हो सकता है। यह मिर्च लगभग तीन इंच तक लंबी और एक या सवा इंच मोटी होती है।

hottest chile
नाग मिर्च
काफी समय तक तो हेबानेरो उगाने वाले लोगों ने भारतीय दावे को विभिन्न बेतुके बहानों से झुठलाने की कोशिश की। एक बहाना यह भी था कि एक ही मिर्च के इतने सारे नाम होना भर ही उसके काल्पनिक होने का सबूत है। मगर जब न्यू-मेक्सिको विश्वविद्यालय में स्थित चिली-पेपर संस्थान ने भारतीय वैज्ञानिकों के सहयोग से इस मिर्च के बीज मंगवाकर संस्थान में उगाकर उसकी जांच की तो इस दावे को सत्य पाया। भूत मिर्च की स्कौविल इकाई ८५५,००० से १,०५०,००० पायी गयी। भूत जोलोकिया के गुणों से प्रभावित होकर रक्षा अनुसन्धान संस्थान उसकी सहायता से टीयर गैस का सुरक्षित विकल्प खोजने में लगा है।

hottest chile
विश्व की सबसे तेज़ मिर्चें
जब मेरे एक अमरीकी सहकर्मी ने मुझे बताया कि वे अपने घर में दुनिया की सबसे तेज़ मिर्च हेबानेरो उगाते हैं तो मैंने उनकी जानकारी को अद्यतन किया। तबसे वे लग गए भूत जोलोकिया को ढूँढने। जब उन्हें पता लगा कि चिली-पेपर संस्थान विभिन्न मिर्चों के बीज बेचता है तो उन्होंने फ़टाफ़ट बीज मंगाकर पौधे उगा लिए और फ़िर दो पौधे मुझे भेंट किए। उनमें से एक तो भगवान् को प्यारा हो गया मगर दूसरा खूब फला। उस पौधे के दो चित्र ऊपर हैं और साथ में नीचे हैं भूत जोलोकिया के कुछ चित्र। साथ में रेड सविना हेबानेरो और चौकलेट हेबानेरो भी हैं।

चलिए आप लोग पढिये तब तक मैं आपके लिए चाय के साथ मिर्च की पकौडी बनाता हूँ।

==============
सम्बंधित कड़ियाँ
==============
The Hottest chile in the World - Bhoot Jolokia